अब आप ही बतायें यहाँ क्या उस पिता समान ड्राइवर को उस लड़की द्वारा यार कहना क्या इसके प्रचलित अर्थ में था? नहीं ना।
समयानुसार कई शब्दों के अर्थ और परि भाषाएँ बदल जाती हैं। यही आज इस शब्द के साथ है।
आज 'यार' शब्द इतना सामान्य सा हो चुका है कि अब इसका पुराना अर्थ बेमाना सा लगता है। आज के तथाकथित हाई-प्रोफाइल लोगों में इसे माँ, बाप, भाई बहिन, बेटे, बेटी, बहू, दामाद आदि सभीके साथ प्रयोग करते हुए सुना जा सकता है।
आज हम 21वीं सदी में जी रहे हैं। आज समाज में हर जगह पहले की अपेक्षा ज्यादा खुलापन आ गया है। नारी (विशेषकर भारतीय) पर लगी बंदीशें कम हो गई हैं। ज्यादा दूर न जायें आज से 30–35 साल पहले तक हमारे देश में अधिकतर महिलायें चूल्हे - चौके तक सीमित थी। शहर हो चाहे गांव सभी जगह उन्हें पुरुष बुजुर्गों के सामने घूंघट रखना होता था। लेकिन आज आप देख रहे हैं कितना बड़ा परिवर्तन आ चुका है। शहरों में ही नहीं ग्रामीण क्षेत्रों में भी महिलायें नौकरी करने लगी हैं।
आज कई सेक्टर ऐसे हैं जहाँ महिला और पुरुष कर्मचारी लगभग समान सी संख्या में हैं। ऐसे में अपने सहकर्मियों के साथ बातचीत में यह शब्द अब आम है।
कई लोगों की जुबान पर तो यह शब्द इतना चढ़ चुका है कि अब वे इसका प्रयोग वार्तालाप में परिचित, अपरिचित सभी के साथ करते हैं।
इसलिए अब अगर कोई स्त्री किसी को 'यार' कह कर बोलती है तो उसे गलत अर्थ में न लें। यह तो अब न्यू जनरेशन की भाषा का ही एक अंग है।
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